रासपंचाध्यायी -अखण्डानन्द सरस्वती रासपंचाध्यायी -अखण्डानन्द सरस्वती प्रवचन संख्या विषय का नाम पृष्ठ संख्या 1. उपक्रम 1 2. रास की भूमिका एवं रास का संकल्प 12 3. रास के हेतु, स्वरूप और काल 28 4. रास के संकल्प में गोपी-प्रेम की हेतुता 40 5. रास की दिव्यता का ध्यान 51 6. योगमाया का आश्रय लेने का अर्थ 63 7. योगमायामुपाश्रित:-भगवान की प्रेम-परवशता 75 8. कृपायोग का आश्रय और चंद्रोदय 85 9. रास-रात्रि में पूर्ण चंद्र का दर्शन 96 10. रास में चंद्रमा का योगदान 106 11. भगवान ने वंशी बजायी 116 12. गोपियों ने वंशी-ध्वनि सुनी 127 13. श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों का अभिसार 141 14. जो जैसिह तैसिह उठ धायीं-1 152 15. जो जैसिह तैसेहि उठ धायीं-2 163 16. जो जैसेहि तैसेहि उठि धायीं-3 175 17. जार-बुद्धि से भी भगवत्प्राप्ति सम्भव है 187 18. विकारयुक्त प्रेम से भी भगवत्प्राप्ति सम्भव है 198 19. गोपी दौड़कर गयीं कृष्ण के पास और कृष्ण ने कहा कि लौट-जाओ 209 20. श्रीकृष्ण का अमिय-गरल-वर्षण 214 21. गोपी के प्रेम की परीक्षा-धर्म का प्रलोभन 225 22. ‘लौट-जाओ’ सुनकर गोपियों की दशा का वर्णन 238 23-24. प्रेम में सूखी जा रहीं गोपियाँ आखिर बोलीं 248 (प्रणय-गीत प्रारम्भ) 25. गोपियों का समर्पण-पक्ष 261 26. श्रीकृष्ण में रति ही बुद्धिमानी है 276 27. गोपियों की न लौट पा सकने की बेबसी और मर जाने के परिणाम का उद्घाटन 286 28. गोपियों का श्रीकृष्ण को पूर्व रमण की याद दिलाना 297 29-31. गोपियों में दास्य का उदय 307 32. गोपियों में दास्य का हेतु-1 338 33. गोपियों में दास्य का हेतु-2 353 34. गोपियों में दास्य का हेतु-3 366 35-36. गोपियों की चाहत 376 (प्रणय-गीत समाप्त) 37-39. प्रथम रासक्रीड़ा का उपक्रम 393 40. रास में श्रीकृष्ण की शोभा 429 41. रास-स्थली की शोभा 441 42. रासलीला का अन्तरंग-1 453 43. रासलीला का अन्तरंग-2 467 44. रासलीला का अन्तरंग-3 480 45. रासलीला का अन्तरंग-4 494 46. अंतिम पृष्ठ 500 वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः