श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
ब्रजभाषा-बद्य-साहित्य
‘ऐसे ही श्री वृषभानु नंदिनी जू को स्वरूप नवल हैं, तादृश श्याम सोई तौ देखैं और कोऊ श्याम हू न देखैं।’ 10. स्वप्न विलास:- चाचा हित वृन्दावनदास कृत। इसमें रचना-काल नहीं दिया हैं। अनन्य अली जी के स्वप्नों से इस स्वप्न-वृत्तान्तों में भेद यह है कि इनमें रचियता के जीवन से संबंधित कोई बात नहीं मिलती। चाचा जी को स्वप्न-काल में जिन लीलाओं का दर्शन हुआ हैं, उनका संग्रह उन्होंने अपने इस ग्रन्थ में कर दिया हैं। इसकी भाषा सीधी-सादी और शैली वर्णानात्मक हैं। एक उदाहरण दिया जाता हैं, ‘चपंकबरनी कौ फूल कौ सिंगार, पीत सारी, लाल लहंगा, सोने के फूलनि की बूटी, श्याम कंचुकी सौं जमुना की पहल-कारी पर सोभा देखत हैं। जमुना में पुल बन्यौ है। तामें रंग-रंग के कटहरा बने है। ताके बीच जराऊ बंगला बन्यौ है। जमुना तैं कमल आदि लता फैलि कै सब छायौ है। फूल- फलि सब झूमि आइ झालरि भई है, ताकी जोति सब जल में, महल में, पहलकारी में फैली है। तामें निज सखी प्रिया पीय दोऊ अकेले ठाडे़ हैं।’
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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