हित हरिवंश गोस्वामी -ललिताचरण गोस्वामी पृ. 465

श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी

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साहित्य
ब्रजभाषा-बद्य-साहित्‍य

‘ऐसे ही श्री वृषभानु नंदिनी जू को स्वरूप नवल हैं, तादृश श्‍याम सोई तौ देखैं और कोऊ श्‍याम हू न देखैं।’

10. स्वप्न विलास:- चाचा हित वृन्दावनदास कृत। इसमें रचना-काल नहीं दिया हैं। अनन्य अली जी के स्वप्नों से इस स्वप्न-वृत्तान्तों में भेद यह है कि इनमें रचियता के जीवन से संबंधित कोई बात नहीं मिलती। चाचा जी को स्वप्न-काल में जिन लीलाओं का दर्शन हुआ हैं, उनका संग्रह उन्होंने अपने इस ग्रन्थ में कर दिया हैं। इसकी भाषा सीधी-सादी और शैली वर्णानात्मक हैं। एक उदाहरण दिया जाता हैं,

‘चपंकबरनी कौ फूल कौ सिंगार, पीत सारी, लाल लहंगा, सोने के फूलनि की बूटी, श्‍याम कंचुकी सौं जमुना की पहल-कारी पर सोभा देखत हैं। जमुना में पुल बन्यौ है। तामें रंग-रंग के कटहरा बने है। ताके बीच जराऊ बंगला बन्यौ है। जमुना तैं कमल आदि लता फैलि कै सब छायौ है। फूल- फलि सब झूमि आइ झालरि भई है, ताकी जोति सब जल में, महल में, पहलकारी में फैली है। तामें निज सखी प्रिया पीय दोऊ अकेले ठाडे़ हैं।’


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
विषय पृष्ठ संख्या
चरित्र
श्री हरिवंश चरित्र के उपादान 10
सिद्धान्त
प्रमाण-ग्रन्थ 29
प्रमेय
प्रमेय 38
हित की रस-रूपता 50
द्विदल 58
विशुद्ध प्रेम का स्वरूप 69
प्रेम और रूप 78
हित वृन्‍दावन 82
हित-युगल 97
युगल-केलि (प्रेम-विहार) 100
श्‍याम-सुन्‍दर 13
श्रीराधा 125
राधा-चरण -प्राधान्‍य 135
सहचरी 140
श्री हित हरिवंश 153
उपासना-मार्ग
उपासना-मार्ग 162
परिचर्या 178
प्रकट-सेवा 181
भावना 186
नित्य-विहार 188
नाम 193
वाणी 199
साहित्य
सम्प्रदाय का साहित्य 207
श्रीहित हरिवंश काल 252
श्री धु्रवदास काल 308
श्री हित रूपलाल काल 369
अर्वाचीन काल 442
ब्रजभाषा-गद्य 456
संस्कृत साहित्य
संस्कृत साहित्य 468
अंतिम पृष्ठ 508

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