श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
ब्रजभाषा-बद्य-साहित्य
11.भावना सागर:- श्रीचतुरशिरोमणिलाल गोस्वामी कृत रचना-काल सं. 1861। संप्रदाय के साहित्य में यह सबसे बड़ा स्वतंत्र गद्य-ग्रन्थ है। इसमें श्याम श्यामा के विवाह-विनोद का बड़ा विशद और रोचक वर्णन किया गया है। युगल के अद्भुत प्रेम और रूप एवं सखियों की अद्भुत तत्सुखमई सेवा का मार्मिक परिचय इस ग्रन्थ में मिलता है। स्थान-स्थान पर विभिन्न वाणीकारों के सुन्दर पद या पंक्तियों उद्धृत हैं जो वर्णन की सजीवता को बढा़ते है। ग्रन्थ की भाषा सीधी-सादी है किन्तु अनुभूति की तीव्रता के अनुसार कहीं-कहीं वह गद्य-काव्य बन गई है। एक उदाहरण देखिये:- ‘वह जु कोई परम अद्भुत अमोल मणिनु को हार ताहि, नीलाम्बर की ओट में सूं हाथ निकारि जब वरमाला पहिराई ता समै सगरी बरात की दृष्टि वाही और ही। सबनि जानी कै प्रथम तौ नीलाम्बर रूपी नव धन तै चन्द्रमान के कोटान-कोट समूहन के समूह उदै भये, न जानिये कोटानकोट समूहन के समूह बिजुरीन के, निश्चै न परी।’ ‘रूप के सहदाने बजन लगे, छबि की नौबत झरन लगी, कटाक्षन की न्यौछाबर हौंन लगी, बिहार की सैना चतुरंगिनी सजि कै ठाड़ी होत हित के नगर में बधाई बजत भई।’
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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