श्रीकृष्ण से कहने लगे, आगे बढ़ा रथ लीजिये।
दोनों दलों के बीच में, अच्युत! खड़ा कर दीजिये॥21॥
करलूँ निरीक्षण युद्ध में, जो जो जुड़े रणधीर हैं।
इस युद्ध में, माधव, मुझे, जिन पर चलने तीर हैं॥22॥
मैं देखलूँ रण हेतु जो, आये यहाँ बलवान् हैं।
जो चाहते दुर्बुद्धि दुर्योधन-कुमति-कल्याण हैं॥23॥
संजय ने कहा-
श्रीकृष्ण ने जब गुडाकेश-विचार, भारत! सुन लिया।
दोनों दलों के बीच में जाकर खड़ा रथ को किया॥24॥
राजा, रथी, श्रीभीष्म, द्रोणाचार्य के जा सामने।
लो देख लो! कौरव कटक, अर्जुन! कहा भगवान् ने॥25॥