हरिगीता अध्याय 1:1-5

श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश'

अध्याय 1 पद 1-5

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राजा धृतराष्ट्र ने कहा-
रण-लालसा से धर्म-भू, कुरुक्षेत्र में एकत्र हो ।
मेरे सुतों ने, पाण्डवों ने, क्या किया संजय कहो ॥ 1 ॥

संजय ने कहा-
तब देखकर पाण्डव-कटक को, व्यूह-रचना साज से ।
इस भाँति दुर्योधन वचन कहने लगे गुरुराज से ॥ 2 ॥

आचार्य महती सैन्य सारी, पाण्डवों की देखिये ।
तव शिष्य बुधवर द्रुपद-सुत ने दल सभी व्यूहित किये ॥ 3 ॥

भट भीम अर्जुन से अनेकों शूर श्रेष्ठ धनुर्धरे ।
सात्यिक द्रुपद योद्धा विराट महारथी रणबांकुरे ॥ 4 ॥

काशी नृपति भट धृष्टकेतु व चेकितान नरेश हैं ।
श्री कुन्तिभोज महान, पुरुजित शैब्य वीर विशेष हैं ॥ 5 ॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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