हरिगीता अध्याय 1:16-20

श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश'

अध्याय 1 पद 16-20

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करने लगे ध्वनि नृप युधिष्ठिर, निज 'अनन्तविजय' लिये।
गुंजित नकुल सहदेव ने, 'सुघोष' 'मणिपुष्पक' किये॥16॥

काशीनरेश विशाल धनुधारी, शिखण्डी वीर भी।
भट धृष्टद्युम्न, विराट, सात्यकि, श्रेष्ठ योधागण सभी। ।।17॥

सब द्रौपदी के सुत, द्रुपद, सौभद्र बल भरने लगे।
चहुँ ओर राजन्, वीर निज-निज शंख-ध्वनि करने लगे॥18॥

वह घोर शब्द विदीर्ण, सब कौरव-हृदय करने लगा।
चहुँ ओर गूंज वसुन्धरा, आकाश में भरने लगा॥19॥

सब कौरवों को देख, रण का साज सब पूरा किये।
शस्त्रादि चलने के समय, अर्जुन कपिध्वज धनु लिये॥20॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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