हरिगीता अध्याय 16:1-5

श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश'

अध्याय 16 पद 1-5

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श्रीभगवान् ने कहा-
भय-हीनता, दम, सत्त्व की संशुद्धि, दृढ़ता ज्ञान की॥
तन-मन सरलता, यज्ञ, तप स्वाध्याय, सात्त्विक दान भी॥1॥

मृदुता, अहिंसा, सत्य करुणा, शान्ति, क्रोध-विहीनता॥
लज्जा, अचंचलता, अनिन्दा, त्याग तृष्णाहीनता॥2॥

धृति, तेज, पावनता, क्षमा, अद्रोह, मान-विहीनता॥
ये चिह्न उनके पार्थ! जिनको प्राप्त दैवी-सम्पदा॥3॥

मद, मान, मिथ्याचार, क्रोध, कठोरता, अज्ञान भी॥
ये आसुरी सम्पत्ति में जन्मे हुए पाते सभी॥4॥

दे मोक्ष दैवी, बान्धती है आसुरी सम्पत्ति ये॥
मत शोक अर्जुन! कर हुआ तू दैव-संपद् को लिये॥5॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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