कवित्त
ग्वालन संग जैबो बन एबौ सु गायन संग,
हेरि तान गैबो हा हा नैन कहकत हैं।
ह्याँ के गज मोती माल वारौं गुंज मालन पै,
कुंज सुधि आए हाय प्रान धरकत हैं।
गोबर को गारौ सु तो मोहि लागै प्यारी कहा,
भयौ मौन सोने के जटित मरकत हैं।
मंदर ते ऊँचे यह मंदिर है द्वारिका के,
ब्रज के खिरक मेरे हिये खरकत हैं।।253।।