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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
नवमं शतकम्
श्रीवृन्दावन की पुष्पवाटिका में विहार परायण वे अति काम विवश चित्त वाले श्रीगौरश्याम विग्रह प्राण-प्रीतम की आनन्दपूर्वक मैं कब सेवा करूंगा।।98।।
श्रीवृन्दावन के नवीन कुंज-द्वारा पर मनोहर चौसर खेलते हुए मधुर विवाद से उदित रस-समुद्र में निमग्न श्रीराधिका-कृष्ण के दर्शन कर।।99।।
श्रीवृषभानु तथा ब्रजपति श्रीनन्द महाराज के दुर्लीला परायण कामवशवर्ती दोनों कुमारों का नवीन कुंजविहार मेरे कण्ठ में माला की भाँति शोभित रहे।।100।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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