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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
पंचमं शतकम्
वे मन्दबुद्धि हैं एवं वे मन्दभागी हैं, जो श्रीवृन्दावन में रह कर श्रीराधा का भजन नहीं करते।।49।।
यही मुझे बड़ा शोक है और यही मुझे बड़ा भारी आश्चर्य है कि श्रीवृन्दावन में वास करते हुए भी लोग प्रेमपूर्वक श्रीराधा-कृष्ण का भजन नहीं करते।।50।।
श्रीवृन्दावन में श्रीराधाकृष्ण की भावनायुक्त हुआ, मुझे न लोक चिंता है और न धर्म चिंता और न देहादि की चिंता है।।51।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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