विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्यायसंजय उवाच इस प्रकार मैंने वासुदेव और महात्मा अर्जुन (अर्जुन एक महात्मा है, योगी है, साधक है, न कि कोई धनुर्धर जो मारने के लिये खड़़ा हो। अतः महात्मा अर्जुन) के इस विलक्षण और रोमांचकारी सम्वाद को सुना। आप में सुनने की क्षमता कैसे आयी? इस पर कहते हैं-
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ सं. |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज