विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्यायबुद्धया विशुद्धया युक्तो धृत्यात्मानं नियम्य च। अर्जुन! विशेष रूप से शुद्ध बुद्धि से युक्त, एकान्त और शुभदेश का सेवन करनेवाला, साधना में जितना सहायक हो उतना ही आहार करनेवाला, जीते हुए मन, वाणी और शरीर वाला, दृढ़ वैराग्य को भली प्रकार प्राप्त हुआ पुरुष निरन्तर ध्यानयोग के परायण और ऐसी धारण से युक्त अर्थात् इसी सब को धारण करनेवाला तथा अन्तःकरण को वश में करके शब्दादिक विषयों को त्यागकर, राग-द्वेष को नष्ट करके तथा-
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ सं. |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज