विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दचतुर्दश अध्यायइस प्रकार योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपने को सबाक आश्रय बताते हुए इस चैदहवें अध्याय का समापन किया, जिसमें गुणों का विस्तार से वर्णन है। अतः- ऊँ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रेश्रीकृष्णार्जुनसम्वादे ‘गुणत्रयविभागयोगो’ नाम चतुर्दशोऽध्यायः।।14।। इस प्रकार श्रीमद्भवद्गीतारूपी उपनिषद् एवं ब्रह्मविद्या तथा योगशास्त्रविषयक श्रीकृष्ण और अर्जुन के सम्वाद में ‘गुणत्रय विभाग योग’ नामक चैदहवाँ अध्याय पूर्ण होता है। इति श्रीमत्परमहंसपरमानन्दस्य शिष्य स्वामीअड़गड़ानन्दकृते श्रीमद्भगवद्गीतायाः ‘यथार्थगीता’ भाष्ये ‘चतुर्दशोऽध्यायः’ नाम चतुर्दशोऽध्यायः।।14।। इस प्रकार श्रीमत् परमहंस परमानन्दजी के शिष्य स्वामी अड़गड़ानन्दकृत ‘श्रीमद्भवद्गीता’ के भाष्य ‘यथार्थ गीता’ में ‘गुणत्रय विभाग योग’ नामक चौदहवाँ अध्याय पूर्ण होता है। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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