विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दएकादश अध्यायनाहं वेदैर्न तपसा न दानेन न चेज्यया। न वेदों से, न तप से, न दान से और न यज्ञ से मैं इस प्रकार देखा जाने को सुलभ हूँ, जिस प्रकार तूने देखा है। तब क्या आपको देख पाने का कोई उपाय नहीं है? वे महात्मा कहते हैं एक उपाय है-
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ सं. |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज