विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दप्रथम अध्यायतान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान्।।27।। इस प्रकार खड़े हुए उन सम्पूर्ण बन्धुओं को देखकर अत्यन्त करुणा से आवृत्त वह कुन्तीपुत्र अर्जुन शोक करता हुआ बोला। अर्जुन शोक करने लगा; क्योंकि उसने देखा कि यह सब तो अपना परिवार ही है, अतः बोला- अर्जुन उवाच हे कृष्ण! युद्ध की इच्छा वाले खड़े हुए इस स्वजन-समुदाय को देख कर मेरे अंग शिथिल हुए जाते हैं, मुख सूखा जाता है और मेरे शरीर में कम्प तथा रोमा´च हो रहा है। इतना ही नहीं-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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