विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दचतुर्थ अध्याय
यदि मन में कोई बात है तो उसे पाने की इच्छा अवश्य होगी, यही मनु का इक्ष्वाकु से कहना है। लालसा होगी कि वह नियत कर्म करें जो अविनाशी है, जो कर्म-बन्धन से मोक्ष दिलाता है-ऐसा है तो किया जाय और आराधना गति पकड़ लेती है। गति पकड़कर यह योग कहाँ पहुँचाता है? इस पर कहते हैं-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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