श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री हित रूपलाल काल के अन्य प्रमुख वाणीकार
श्री व्रज जीवन जी:- यह श्री हरिलाल गोस्वामी के शिष्य थे। इनकी विपुल वाणी प्राप्त होती है। इनकी मुख्य रचना ‘हृदयाभरण’ नामक ग्रंथ है, जिसमें 1042 दोहे हैं। यह सं. 1891 को अश्विन शुक्ला द्वितीया को पूर्ण हुआ है। इसमें विभिन्न अलंकारों के उदाहरण के रूप में दोहे दिये गए हैं। अलंकारों में उत्प्रेक्षा, रूपक, विषत, तदगुण, प्रतीप, उपमा, विभावना, स्वभावोक्ति, भाविक आदि के उदाहरण दिये गये हैं।
राधा मंगल नाम है, राधा मंगल रूप। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज