श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
हित अनूप जी
माधुर्य विलास के उत्तरार्ध में हित अनूप जी अपनी रस संबन्धी स्थापनाओं के उदाहरण देना चाहते थे। उनके अभाव में वंशीधर जी ने यह कार्य किया है किन्तु दोनों के अनुभव और सामर्थ्य में भेद है और हित अनूप जी का आशय पूर्णत: स्पष्ट नहीं हो पाया है। माधुर्य विलास में से कुछ उदाहरण दिये जाते हैं। व्रज स्वरूप वर्णन ची. कनक चन्द चन्दन मनि, विविध रंग राजत ये अवनी । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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