भीष्म पितामह -अखण्डानन्द सरस्वती पृ. 84

श्री भीष्म पितामह -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती

Prev.png

श्रीकृष्ण के द्वारा भीष्म का ध्यान,भीष्म पितामह से उपदेश के लिये अनुरोध

इसीलिये मैं उनका चिन्तन कर रहा था। प्यारे धर्मराज! उनके इस लोक से चले जाने पर यह पृथ्वी चन्द्रहीन रात्रि की भाँति शोभाहीन हो जायेगी। उनके न रहने पर भूमण्डल में ज्ञान का हृास हो जायेगा। इसलिये आप उनके पास जाकर, चारों वर्णों और आश्रमों का, चारों विद्याओं का, चारों पुरुषार्थों का और जो कुछ आपकी इच्छा हो उसका रहस्य पूछ लीजिये।'

युधिष्ठिर ने आँखों में आँसू भरकर गद्गद कण्ठ से कहा-'श्रीकृष्ण! आपने भीष्म के प्रभाव का जो वर्णन किया है, उस पर मुझे पूर्ण विश्वास है। अनेक ऋषि-महर्षियों ने मुझे उनका महत्तव बतलाया है। फिर आप तो तीनों लोकों के स्वामी हैं। आपकी बात पर भला कैसे संदेह हो सकता है? आप मुझ पर बड़ी कृपा रखते हैं, आप मुझे अपने साथ ही उनके पास ले चलिये। उत्तरायण सूर्य होते ही वे इस लोक से चले जायेंगे, इसलिये ऐसे अवसर पर उन्हें आपका दर्शन मिलना चाहिये। आप आदिदेव परब्रह्म हैं। आपके दर्शन से पितामह कृतकृत्य हो जायेंगे। धर्मराज युधिष्ठिर की प्रार्थना सुनकर भगवान् श्रीकृष्ण ने सात्यकि से रथ तैयार कराने को कहा।

भगवान् श्रीकृष्ण, धर्मराज युधिष्ठिर, कृपाचार्य, भीम, अर्जुन आदि सब भीष्म पितामह को पास चले। रास्ते में धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर श्रीकृष्ण ने परशुराम जी के चरित्र का वर्णन किया।। भीष्म के पास पहुँचकर उन लोगों ने देखा कि वे संध्याकालीन सूर्य के समान निस्तेज होकर शरशय्या पर पड़े हैं, बड़े-बड़े महात्मा उन्हें घेरे हुए बैठे हैं। वे दूर से ही अपनी सवारियों से उतरकर वहाँ गये और व्यास आदि महर्षियों समेत सबको प्रणाम करके भीष्म के चारों ओर घेरकर बैठ गये।

श्रीकृष्ण ने महात्मा भीष्म को सम्बोधन करके कहा-'आपका ज्ञान तो पहले की भाँति है न! पाण्डवों के घाव की पाड़ के कारण आपकी बुद्धि अस्थिर तो नहीं हुई है? अपने पिता धर्मपरायण शान्तनु के वरदान से आप अपनी इच्छा के अनुसार मृत्यु के अधिकारी हुए हैं। बड़े-बड़े महात्माओं और देवताओं को भी इच्छा मृत्यु प्राप्त नहीं है। शरीर में सुई चुभ जाने पर लोगों को उसकी पीड़ा सहन नहीं होती, परंतु आपके शरीर में तो अनेकों बाण बिंधे हुए हैं। आप स्वयं ही बड़े-बड़े देवताओं को उपदेश कर रहे हैं, आपसे जन्म-मृत्यु के सम्बन्ध में क्या कहा जाये! आप समस्त धर्मों का रहस्य, वेद-वेदांग, अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष सबका तत्व जानते हैं।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भीष्म पितामह -अखण्डानन्द सरस्वती
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. वंश परिचय और जन्म 1
2. पिता के लिये महान् त्याग 6
3. चित्रांगद और विचित्रवीर्य का जन्म, राज्य भोग, मृत्यु और सत्यवती का शोक 13
4. कौरव-पाण्डवों का जन्म तथा विद्याध्यन 24
5. पाण्डवों के उत्कर्ष से दुर्योधन को जलन, पाण्डवों के साथ दुर्व्यवहार और भीष्म का उपदेश 30
6. युधिष्ठिर का राजसूय-यज्ञ, श्रीकृष्ण की अग्रपूजा, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण के स्वरुप तथा महत्तव का वर्णन, शिशुपाल-वध 34
7. विराट नगर में कौरवों की हार, भीष्म का उपदेश, श्रीकृष्ण का दूत बनकर जाना, फिर भीष्म का उपदेश, युद्ध की तैयारी 42
8. महाभारत-युद्ध के नियम, भीष्म की प्रतिज्ञा रखने के लिये भगवान् ने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी 51
9. भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण का माहात्म्य कथन, भीष्म की प्रतिज्ञा-रक्षा के लिये पुन: भगवान् का प्रतिज्ञा भंग, भीष्म का रण में पतन 63
10. श्रीकृष्ण के द्वारा भीष्म का ध्यान,भीष्म पितामह से उपदेश के लिये अनुरोध 81
11. पितामह का उपदेश 87
12. भीष्म के द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण की अन्तिम स्तुति और देह-त्याग 100
13. महाभारत का दिव्य उपदेश 105
अंतिम पृष्ठ 108

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः