विषय सूची
गीता रस रत्नाकर -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
द्वितीय अध्यायअर्थस्य पुरुषो दासो दासस्त्वर्थो न कस्यचित्। देखो, यदि कोई छः-आठ महीने या वर्ष दो वर्ष तक किसी सेठ- साहूकार का अन्न खा ले तो सेठ साहूकार यह चाहता है कि हमारा अन्न खाने वाला हमको ईश्वर समझे, हम तो इसके अन्नदाता हैं। कई-कई साधु लोग भी जब एक गृहस्थ का खाने-पीने लगते हैं तब उसके जेबी साधु हो जाते हैं। वह उनको अपने पॉकेट में रख लेता है और दिखाता फिरता है कि देखो, ऐसे-ऐसे साधु हमारी जेब में है। हम उनसे जो चाहें करवा सकते हैं। इसलिए ये लोग मुफ्त में नहीं खिलाते हैं। कहते हैं कि इन साधुओं से बड़ा न होता तो ये मुझको ईश्वर क्यों मानते! इसलिए आप एक का खाते-पीते किसी को राधा मान बैठोगे, किसी को कृष्ण मान बैठोगे! ये खिलाने वाले अपने को छोटा नहीं मानते हैं। देखो, यहाँ गुरु के पहले ‘अर्थकामान्’ है। यदि इसको विशेषण बनाना हो तो गुरुओं का ही बनाना पड़ेगा, और तब यदि ‘गुरूनहत्वा रूधिरप्रदिग्धान् अर्थकामान् भुञ्जीय’ ऐसा अन्वय करोगे तो बिल्कुल क्लिष्ट अन्वय हो जाएगा और बीच में गुरु को छोड़कर रुधिर प्रदिग्ध को अर्थकाम का विशेषण बनाओगे तो यह कौन सी अन्वय रीति होगी? अब बोले कि ये भले ही अर्थकाम हैं किंतु हैं तो अपने गुरुजन। इनको हम मारेंगे तो इनके खून से लथ-पथ भोग भोगना पड़ेगा और हमको यह उचित मालूम नहीं पड़ता। इसलिए मैं कायरता से युद्ध नहीं छोड़ रहा हूँ, अन्याय होने के कारण, न्याय के विरुद्ध होने के कारण, युद्ध छोड़ रहा हूँ, इसे विवेक पूर्वक छोड़ रहा हूँ। अरे बाबा, कुछ भी हो जाय, विवेक मत छोड़ो। प्रेम का मार्ग दूसरा है। सरकार कहती है कि कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए, विवेक नहीं छोड़ना चाहिए। ‘न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयः’ यह अपना अज्ञान प्रकट करता है। ‘हननं वा श्रेयः, भैक्ष्यं वा श्रेयः, इति, अनयोर्मध्ये कतरत् श्रेयः।’ भीख माँगना श्रेय है? इन दोनों का विकल्प क्या है? बोले कि अभी हमारी समझ साफ-साफ जवाब नहीं दे रही है। कतरत्- यही साधन- विषयक विकल्प है। इसी तरह फलविषयक विकल्प है कि- ‘यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः।’ क्योंकि यह निश्चित नहीं कि जय-पराजय हमारी ही होगी! विचार की गई कोटियाँ हैं- साधन की कोटि है, फल की कोटि है। यदि जीत हमारी होगी तो क्या ‘जानेव हत्वा जिजीविषामः’ द्रोण को मारकर, भीष्म को मारकर, अपने इष्टमित्रों को मारकर जिन्दा रहना चाहते हैं!
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | अध्याय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज