विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्यायकृषिगौरक्ष्यवाणिज्यं वैश्यकर्म स्वभावजम्। कृषि, गो-रक्षा और व्यवसाय वैश्य के स्वभावजन्य कर्म हैं। गोपालन की क्यों? भैंस को मार डालें? बकरी न रखें? ऐसा कुछ नहीं है। सुदूर वैदिक वाङ्मय में ‘गो’ शब्द अन्तःकरण एवं इन्द्रियों के लिये प्रचलित था। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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