यथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्द
पंचदश अध्याय
इस अध्याय में आत्मा की तीन स्थितियों का चित्रण क्षर, अक्षर और अति उत्तम पुरुष के रूप में स्पष्अ किया गया, जैसा इससे पहले किसी अन्य अध्याय में नहीं है। अतः-
ऊँ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसम्वादे ‘पुरुषोत्तमयोगो’ नाम पन्चदशोऽध्यायः।।15।।
इस प्रकार श्रीमद्भवद्गीतारूपी उपनिषद् एवं ब्रह्मविद्या तथा योगशास्त्रविषयक श्रीकृष्ण और अर्जुन के सम्वाद में ‘पुरुषोत्तमयोगो’ नाम पन्चदशोऽध्यायः।।15।।
इति श्रीमत्परमहंसपरमानन्दस्य शिष्य स्वामीअड़गड़ानन्दकृते श्रीमद्भगवद्गीतायाः ‘यथार्थगीता’ भाष्ये ‘पुरुषोत्तमयोगो’ नाम पंचदशोऽध्यायः।।15।।
इस प्रकार श्रीमत् परमहंस परमानन्द जी के शिष्य स्वामी अड़गड़ानन्दकृत ‘श्रीमद्भवद्गीता’ के भाष्य ‘यथार्थ गीता’ में ‘पुरुषोत्तम योग’ पन्द्रहवाँ अध्याय पूर्ण होता है।
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