विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दद्वादश अध्याय
ये तु धम्र्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते। जो मेरे परायण हुए हार्दिक श्रद्धायुक्त पुरुष इस उपर्युक्त धर्ममय अमृत का भली प्रकार सेवन करते हैं, वे भक्त मुझे अतिशय प्रिय हैं।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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