विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दएकादश अध्यायप्रश्न उठता है कि जब कृष्ण कहना अपराध है, तो उनका नाम जपा कैसे जाय? तो जिसे योगेश्वर श्रीकृष्ण ने जपने के लिये स्वयं बल दिया, जपने की जो विधि बतायी, उसी विधि से आप चिन्तन-स्मरण करें। वह है-‘ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।’-‘ओम्’ अक्षय ब्रह्म का पर्याय है। ‘हो अहम् स ओम्’- जो व्याप्त है वह सत्ता मुझमें छिपी है, यही है ओम् का आशय। आप इसका जप करें और ध्यान मेरा करें। रूप अपना, नाम ओम् का बताया। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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