विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दएकादश अध्यायकिरीटिनं गदिनं चक्रहस्त- मैं आपको वैसे ही अर्थात् पहले की ही तरह सिर पर मुकुट धारण किये हुए, हाथ में गदा और चक्र लिये हुए देखना चाहता हूँ। इसलिये हे विश्वरूपे! हे सहस्त्रबाहो! आप अपने उसी चतुर्भुज स्वरूप में होइए। कौन-सा रूप देखना चाहा? चतुर्भुज रूप! अब देखना है कि चतुर्भुज रूप है क्या?- भगवानुवाच इस प्रकार अर्जुन की प्रार्थना सुनकर श्रीकृष्ण बोले-अर्जुन! मैंने अनुग्रहपूर्वक अपनी योगशक्ति के प्रभाव से अपना परम तेजोमय, सबका आदि और सीमारहित विश्वरूप तुझे दिखाया है, जिसे तेरे सिवाय दूसरे किसी ने पहले कभी नहीं देखा।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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