विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दसप्तम अध्यायजरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये। जो मेरी शरण होकर जरा और मरण से मुक्ति पाने के लिये प्रयत्न करते हैं, वे पुरुष उस ब्रह्म को, सम्पूर्ण अध्यात्म को और सम्पूर्ण कर्म को जानते हैं। और इसी क्रम में-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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