श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री हित रूपलाल काल के अन्य प्रमुख वाणीकार
राधा पग मंजीर-धुनि परै कहूँ जो कान। इसके अतिरिक्ति, इस ग्रन्थ में षट् ऋतु विलास, व्रज की होली निकुंज की होली, व्रज का बिहावला, निकुंज का बिहावला, दिवाली उत्सव, नन्दोत्सव, श्री हित जी के जन्मोत्सव आदि का सुन्दर वर्णन दोहों में ही किया गया है। ग्रन्थ के अंत में प्रेमतत्त्व का वर्णन, कृष्णगढ़ वाले नागरीदास जी के इश्क-चमन के ढंग पर, दोहों में किया है। इश्क शहर बाजार में लगी हुस्न की पैंठ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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