श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री हित रूपलाल काल (सं. 1775-1875 तक)
प्रेम की ‘अकथ कथा’ को इन्होंने सीधे सादे और मार्मिक ढंग से कह दिया है। इसके लिये, कहीं कहीं, इन्होंने प्रतीकात्मक (Symbolical) शैली का भी उपयोग किया है। एक पद देखिये - बुद्धि सहेली री चलि मानसरोवर जाँहि ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (समय प्रबंध)
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