श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री कल्याण पुजारी जी
श्री ध्रुवदास काल के अन्य प्रमुख वाणीकार:- श्री कल्याण पुजारी जी- यह श्री बनचन्द्र गोस्वामी के शिष्य थे और उनकी ओर से राधावल्लभ जी के मंदिर में पुजारी नियुक्त थे। ‘रसिक अनन्य माला’ में इनका चरित्र दिया हुआ है। यह उच्चकोटि के रसिक महात्मा थे। इनके लगभग दो सौ पद लेखक ने देखे हैं। पदों में यह अपना नाम ‘कली’ या ‘कलीअलि’ देते हैं। इनका वाणी रचना काल सं. 1660 से सं. 1700 तक माना जा सकता है। इनके दो पद दिये जाते हैं। धुरि आये री बदरा काजरे बन बोलत चातक मोर री |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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