श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री दामोदर स्वामी
स्वामी जी की अन्य रचनायें गुरु प्रातप, नेमवत्तीसी, सिद्धान्त के पद, बधाईयाँ, उत्सवों के पद, रहस-विलास, बिहावला, चौपड़ खेल, फुटकर बानी, साखी और जजमान कन्हाई जस हैं। इनके अनेक पदों में उत्प्रेक्षाओं की छटा दर्शनीय होती है। ‘नेम बत्तीसी’ की रचना सं. 1687 में हुई है अत: स्वामी जी का रचना काल सं. 1670 से सं. 1700 तक माता जा सकता है। इनकी वाणी के कुछ नमूने देखिये, हरि जस ज्यौं गावै त्यौं नीकौ । मन रे भजिये नंदलला । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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