श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री दामोदर स्वामी
चरित्र- इनका चरित्र भी रसिक अनन्य माल में दिया हुआ है। यह लाल स्वामी जी के शिष्य थे और कीरतपुर के रहने वाले थे। कुछ दिनों के बाद यह वृन्दावन चले गये और शेष जीवन वहीं व्यतीत किया। यह उच्चकोटि के महात्मा और पूर्ण सदाचारी पुरुष थे। इनके स्वभाव का वर्णन भगवत मुदित जी ने इस प्रकार किया है, काहू बुरौ भलौ नहिं कहैं, निर्दूषित सबही सौं रहैं । स्वामी जी को, पक्के निकुंजोपासक होते हुए भी, श्रीमद्भागवत से बहुत प्रेम था। उन्होंने भागवत की दस प्रतियाँ सुन्दर लिपि में अपने हाथ से लिख कर गुरु कुल में तथा अन्य अधिकारी व्यक्तियों को भेंट की थीं। इनके ‘चरित्र’ में से एक रोचक घटना यहाँ दी जाती है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज