हित हरिवंश गोस्वामी -ललिताचरण गोस्वामी पृ. 285

श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी

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साहित्य
नागरीदास जी


नागरीदास जी का एक आत्‍म-परिचयात्‍मक सुन्‍दर सवैया मिलता है-

सुन्‍दर श्री बरसानौ निवास और वास बसौं श्री वृन्‍दावन धाम है।
देवी हमारे श्री राधिका नागरी गोत सौं श्री हरिवंश कौ नाम है।।
देव हमारे श्री राधिका वल्‍लभ रसिक अनन्‍य सभा विश्राम है।
नाम है नागरीदास अली वृषभान लली की गली कौ गुलाम है।।

ध्रुवदास जी ने ‘भक्‍त नामावली’ में नागरीदास जी के संबंध में लिखा है,

नेही नागरी दास अति जानत नेह की रीति।
दिन दुलराई लाड़िली लाल रंगीली प्रीति।।

इनके कुछ दोहे और पद यहाँ दिये जाते हैं।

दोहा

 
जब लगि सहज न बदलई फुरै न जहँ-तहँ भाव।
पंथ पावनौ कठिन है कीने कहा बनाव।।
सुगम-सुगम सब कोउ कहैं अगम भजन की घात।
जौ लगि ठौर न परसि है कहि आवत है बात।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
विषय पृष्ठ संख्या
चरित्र
श्री हरिवंश चरित्र के उपादान 10
सिद्धान्त
प्रमाण-ग्रन्थ 29
प्रमेय
प्रमेय 38
हित की रस-रूपता 50
द्विदल 58
विशुद्ध प्रेम का स्वरूप 69
प्रेम और रूप 78
हित वृन्‍दावन 82
हित-युगल 97
युगल-केलि (प्रेम-विहार) 100
श्‍याम-सुन्‍दर 13
श्रीराधा 125
राधा-चरण -प्राधान्‍य 135
सहचरी 140
श्री हित हरिवंश 153
उपासना-मार्ग
उपासना-मार्ग 162
परिचर्या 178
प्रकट-सेवा 181
भावना 186
नित्य-विहार 188
नाम 193
वाणी 199
साहित्य
सम्प्रदाय का साहित्य 207
श्रीहित हरिवंश काल 252
श्री धु्रवदास काल 308
श्री हित रूपलाल काल 369
अर्वाचीन काल 442
ब्रजभाषा-गद्य 456
संस्कृत साहित्य
संस्कृत साहित्य 468
अंतिम पृष्ठ 508

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