श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
सिद्धान्त
उपासना-मार्ग
साधन विविध सकाम मति सब, स्वारथ सकल सबै जुअनीति। सखी गण की प्रेम-पद्धति के अनुकरण पर, जिस प्रकार इस संप्रदाय में प्रेमी की उपासना का विधान किया गया है, उसी प्रकार यहाँ का उपासना मार्ग भी सखीगण की सहज प्रेमोपासना का अनुसरण करता है। हम देख चुके हैं कि सखियों के जीवन का एक मात्र उद्देश्य युगल की परिचर्या करना है और इसके साथ वे सहज रूप से श्याम-श्यामा के नाम-रूप का गान करती रहती हैं। उनकी इन प्रवृतियों के अनुकरण पर संप्रदाय के उपासना-मार्ग के तीन अंग रखे गये हैं परिचर्या, नाम-स्मरण और वाणी-अनुशीलन। हम इन तीनों को क्रमशः उपस्थित करेंगे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ से. वा. 13-1
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