विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दएकादश अध्यायत्वमादिदेवः पुरुषः पुराण- आप आदिदेव और सनातन पुरुष हैं। आप इस जगत् के परम आश्रय और जानने वाले हैं, जानने योग्य हैं तथा परमधाम हैं। हे अनन्तस्वरूप! आपसे यह सम्पूर्ण जगत् व्याप्त है। आप सर्वत्र हैं। वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशांकः आप ही वायु, यमराज, अग्नि, वरुण, चन्द्रमा तथा प्रजा के स्वामी ब्रह्मा और ब्रह्मा के भी पिता हैं। आपको हजारों बार नमस्कार है। फिर भी बार-बार नमस्कार है। अतिशय श्रद्धा और भक्ति के कारण नमन करते हुए अर्जुन को तृप्ति नहीं हो रही है। वह कहता है-
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ सं. |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज