भीष्म पितामह -अखण्डानन्द सरस्वती पृ. 107

श्री भीष्म पितामह -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती

Prev.png

महाभारत का दिव्य उपदेश

उनके किसी को उद्वेग नहीं होता, क्योंकि उनका लक्ष्य सदैव सब प्राणियों से नि:स्वार्थ और निष्कपट प्रेम करने का रहता है। ऐसे स्थिरबुद्धि, अहिंसक सत्पुरुषों के संग का सभी को लाभ उठाना चाहिये। वे काम, क्रोध, ममता और अहंकार से सर्वथा शून्य होते हैं। इस प्रकार के मर्यादापालक संतों से ही अपनी शंकाओं का समाधान कराना चाहिये। वे धन या यश के लिये धर्म का आचरण या सदाचार का पालन नहीं करते हैं, किन्तु जैसे शरीर रक्षा के लिये भोजन आदि क्रिया आवश्यक है, ऐसे ही धर्मानुष्ठान भी कर्तव्य समझकर अवश्य करना चाहिये इसी भाव से वे धर्माचरण करते हैं। उन सदा सन्तुष्ट रहने वाले साधुओं में भय, क्रोध, मन की चपलता या शोक सर्वथा नहीं होता है। वे दूसरों को धोखा देने के लिये धर्म का स्वांग धारण नहीं करते हैं। उनका किसी अंश में भी कोई प्रयोजन- छिपा हुआ स्वाथ न होने से वे पाखण्डी- धर्म का आश्रय नहीं लेते हैं। वे लोभ या मोह से किसी भी निर्णय में भूल नहीं करते, क्योंकि वे सदैव पक्षपातरहित धर्मशील, सत्यवादी और साफ कहने वाले होते हैं। ऐसे सत्पुरुषों के साथ तुम्हें अवश्य प्रेम करना चाहिये। वे लाभ होने से हर्ष नहीं मानते और हानि होने से खेद नहीं करते। वे ममता और अहंकार से शून्य रहकर सदा सत्वगुण में स्थित रहते हैं। उनकी सर्वत्र समदृष्टि हो जाने से वे सुख-दु:ख, प्रिय-अप्रिय अथवा जीवन-मरण इन सबको समान समझते हैं। वे दृढ़ पुरुषार्थी, नित्य धर्म के मार्ग में ही स्थित रहते हैं। ऐसे महानुभाव पुरुषों की तुम्हें जितेन्द्रिय और सावधान होकर सेवा करनी चाहिये।'

शान्तिपर्व, अध्याय 158

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भीष्म पितामह -अखण्डानन्द सरस्वती
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. वंश परिचय और जन्म 1
2. पिता के लिये महान् त्याग 6
3. चित्रांगद और विचित्रवीर्य का जन्म, राज्य भोग, मृत्यु और सत्यवती का शोक 13
4. कौरव-पाण्डवों का जन्म तथा विद्याध्यन 24
5. पाण्डवों के उत्कर्ष से दुर्योधन को जलन, पाण्डवों के साथ दुर्व्यवहार और भीष्म का उपदेश 30
6. युधिष्ठिर का राजसूय-यज्ञ, श्रीकृष्ण की अग्रपूजा, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण के स्वरुप तथा महत्तव का वर्णन, शिशुपाल-वध 34
7. विराट नगर में कौरवों की हार, भीष्म का उपदेश, श्रीकृष्ण का दूत बनकर जाना, फिर भीष्म का उपदेश, युद्ध की तैयारी 42
8. महाभारत-युद्ध के नियम, भीष्म की प्रतिज्ञा रखने के लिये भगवान् ने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी 51
9. भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण का माहात्म्य कथन, भीष्म की प्रतिज्ञा-रक्षा के लिये पुन: भगवान् का प्रतिज्ञा भंग, भीष्म का रण में पतन 63
10. श्रीकृष्ण के द्वारा भीष्म का ध्यान,भीष्म पितामह से उपदेश के लिये अनुरोध 81
11. पितामह का उपदेश 87
12. भीष्म के द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण की अन्तिम स्तुति और देह-त्याग 100
13. महाभारत का दिव्य उपदेश 105
अंतिम पृष्ठ 108

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः