गीता प्रबोधनी -स्वामी रामसुखदास
आठवाँ अध्याय
प्रयाणकाले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव । व्याख्या- इस श्लोक में संकेत रूप से चारों आश्रमों का वर्णन ले सकते हैं; जैसे- ‘यदक्षरं वेदविदो वदन्ति’ पदों से गृहस्थाश्रम, ‘विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः’ पदों से संन्यास और वानप्रस्थ-आश्रम तथा ‘यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्य चरन्ति’ पदों से ब्रह्मचर्याश्रम ले सकते हैं। तात्पर्य है कि चारों आश्रमों का एकमात्र उद्देश्य परमात्मतत्त्व को प्राप्त करना है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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