विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दतृतीय अध्याय
अतः तू भी प्राप्ति के लिये और प्राप्ति के पश्चात् लोकनायक बनने के लिये कार्यं कर्म करने के ही योग्य है। क्यों?- अभी श्रीकृष्ण ने कहा था कि प्राप्ति के पश्चात् महापुरुष का कर्म करने से न कोई लाभ है और न छोड़ने से कोई हानि ही है, फिर भी लोकसंग्रह, लोकहित व्यवस्था के लिये वे भली प्रकार नियत कर्म का ही आचरण करते हैं। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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