राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 34

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीसाँझी-लीला

पद (राग पीलू, ताल अद्धा)

रहे दोउ बदन निहारि-निहारि ।
फूलनि बीनत सबै सखी उत, इत स्यामा सुकुमारि ।।
लता करनि में रहि गइँ इत-उत, कौन सकै निरवारि ।
नागरिया मिले नैन दुहुनि के, बड़े ठगनि ठगवारि ।।

(श्रीजी सखिन की ओर जायँ, ठाकुरजी लतान में छिपि जायँ)
सखी- प्यारी! हम सब तौ झोरी भरि-भरि कैं बौहौत फूल लाई हैं, परंतु आपकी झोरी में तौ थोरे से ही फूल दीखैं हैं, और आपकौ मुख हू उदास है। कहा बात है गई, कछू बताऔ तौ सही।
श्रीजी-
पद (राग-चैती, ताल धीमा तिताल)

फुलवा बीनन हौं गई री जमुना-कूल द्रुमन की भीर ।
अरुझयौ आय अरनि की डरियाँ तिहिं छिन री मेरौ अंचल चीर ।।
तब कोउ आय अचानक निकस्यौ मालति लता सघन मंझार ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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