श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीसाँझी-लीला(श्रीजी कौ अंचल फूल बीनत में एक बृच्छ की डारी सौं उरझि जाय। तब श्रीजी सब सखीन कौ नाम लै लै कैं हेला दैं, परंतु कोई सकी नहीं सुनै। तब उन लता-कुंजन सौं ठाकुर जी पधारि कैं वा वस्त्र कूँ सूरझाय दैं और इकटक श्रीराधा -मुख चंद्र के दरसन करते रहें)
(दोहा)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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