राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 369

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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रास-लीला के समय पूज्य श्रीभाई जी विरचित ‘पद-रत्नाकर’ के उपयोग पद

(राग टोड़ी-तीन ताल)

मेरे जीवन धन-प्यारे! मैं कब से तुम्हें बुलाऊँ।
आओ नैनों के तारे! मैं चरण-कमल सहलाऊँ।।
यसुमति मैया के बारे! मैं माखन तुम्हें खिलाऊँ।
व्रजपति के परम दुलारे! मैं सुललित लाड़ लड़ाऊँ।।
आओ नयनों के तारे।।
हे सखा-प्राण-आधारे! मैं मनहर खेल खिलाऊँ।
व्रज युवतिन प्राण-पियारे! मैं हिय-रस तुम्हें पिलाऊँ।।
आओ नयनों के तारे।।
राधा-आराधनवारे! मैं सरबस चरण चढ़ाऊँ।
अर्पितकर तन-मन सारे! मैं तुम पर बलि-बलि जाऊँ।।
आओ नयनों के तारे।।
तुम रहो प्रेम-मतवारे! मैं प्रेम-सुधा ढलकाऊँ।
तुम रहो न मुझसे न्यारे! मैं हिय में आय समाऊँ।
आओ नयनों के तारे।।
अनुपम सुषमा-श्री धारे। मोहन! मैं तुम्हें रिझाऊँ।
हियकी सब जाननहारे। तुमसे मैं कहा छिपाऊँ।।
आओ नयनों के तारे।।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पद-रत्नाकर, पद सं. 433

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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