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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(श्लोक)
(तुक)
(श्लोक)
अर्थ- एक कृष्ण बनी, दूसरी तृणाबर्त्त बनि कैं उड़ाय लै गई।
अर्थ- कोई गोपी कृष्ण की नाईं घुटुवन चलिबे लगी।
अर्थ- एक गोपी कृष्ण बनी, दूसरी बलराम और सब ग्वाल बनीं, तब बत्सासुर और बकासुर मारिबे की लीला करी। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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