विषय सूची
श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(तुक)
(श्लोक)
(श्लोक)
(तुक)
अर्थ- एक गोपी दूसरी के गरे में बाँह डारि कैं कहिबे लगी, मित्रो! देखो, मैं कृष्ण हूँ, मेरी मनोहर चाल देखौ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज