विषय सूची
श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(तुक)
वार्ता- अरी बीर! ये बृछ बड़े ही परोपकारी हैं, अपने ऊपर धूप-जाड़ौ सहैं हैं, वर्षा सहैं। कोई मराग कौ थक्यौ आवै, वाकूँ अपनी छाया में बैठार सीतल करैं हैं; इनसौं ही पूछौ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज