राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 162

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला

(श्लोक)

चूतप्रियालपनसासनकोविदारजम्ब्वर्कबिल्वबकुलाभ्रकदम्बनीपाः।
येऽन्ये परार्थभवका यमुनोपकूलाः शंसन्तु कृष्णपदवीं रहितात्मनां नः।।

अर्थ- हे रसाल! प्रियाल, कटहर, पीत साल, कचनार, जामुन, आक, बेल, मौलसिरी, आम, कदंब, नीप और अन्यान्य जमुना-तट पै बिराजमान सुखी तरुबरौ, तुम्हरौ जन्म-जीवन केवल परोपकार के लिए ही है। हमरौ जीवन श्रीकृष्ण के बिना सूनौ है रह्यौ है। हम तुम सब सौं प्रार्थना करैं हैं, तुम हमें उनकौ बताय देऔ।

सखी- अरी बहिनाऔ, तुम सब सौं एक संग पूछौ हौ, याही सौं ये नाँय बतावैं। ऐसो कौन है, जो अपनी बड़ाई न चाहतौ होय, यासौं एक-एक तैं पूछो।

दूसरी सखी- ओह बट, पहिरैं पीत, भेष जाकौ नट, स्याम जाकी लट, हमें बुलाई बंसीबट, कहूँ जमुना के तट पै जातौ देरव्यौ होय तौ बताय देऔ।

सखी- हे प्रियाल! प्रियतम सदा बसै रहैं तुम्हारे ख्याल, तुम नें उन नंदलाल कूँ जाँते देखे होयँ तौ बताय देऔ।

सखी- हे जामुन! हम सब भामिन वा मन भावन बिना ब्याकुल है रही हैं, सो तुमहीं बताय देऔ। हे आम, संग जाके बाम, भैया जाके बलराम, वे सुख के धाम, पूरनकाम, घनस्याम कूँ कहूँ देख्यौ होय तौ बताय देऔ।

सखी- हे कदंब! या ब्रज के अवलंब कूँ कहूँ देख्यौ होय तौ बताय देऔ। हे कुंद-कली! संग लियें एक अली, वे गये कौन सी गली, सो तू ही बताय दै।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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