राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 14

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला

(मूछत अवस्था-सखी संभारै)
सखी- प्यारी, चैत करौ ।
श्रीजी- बहिन बिसाखा! मेरे समीप सौं दूर हटि जा, मेरे अंग सौं स्पर्स मत करै, मेरौ अंग स्पर्श करिबे सौं तू हू मलिन है जायगी। तू मोसौं नित कहती कि राधा हम सब पै बहुत प्यार करै है, तौ आज मैं अपने प्यार कौ प्रत्युपकार यही चाहूँ कि तुम कोई बाधा मति दीजौं। अब सीघ्र-सौं-सीघ्र मेरे या मलिन सरीर कौ अंत है जाय, यामें सहायक बनियौं।
सखी- प्यारी! आप के मुख ते यह बात सुनि कैं हमारे हृदय में कितनी पीरा होय है, आप या बात कौ नैंकहू ध्यान नायँ करौ; नहीं तौ ऐसी बात न कहतीं। आप कूँ यह बात सोभा नायँ दै।
श्रीजी- बहिना, तू नायँ जानै कि ये बात मैंने क्यों कही। अच्छौ, मृत्यु ते पहिलैं इन कूँ प्रकट करि दैनौ ही उचित है।
(श्लोक)

एकस्य श्रुतमेव लुम्पति मतिं कृष्णेति नामाक्षरं
सान्द्रोन्मादपरम्परामुपनयत्यन्यस्य वंशीकलः।
एष स्निग्धघनद्युतिर्मनसि मे लग्नः पटै वीक्षणात्
कष्टं धिक् पुरुषत्रये रतिरभून्मन्ये मृतिं श्रेयसीम् ।।

‘वा दिनां मैंने तुम्हारे मुख ते कृष्न-नाम सुन्यौ, सुनतहीं मेरौ बिबेक जातौ रह्यौ। मैंने यह नहीं सोच्यौ कि यह कृष्न कौन है; तुरंत मन ही मन, अपनौ मन, प्राण, जीवन, सरबस्व उन कूँ समर्पन करि बैठी। कृष्न-नाम कौ मधुपान करि बावरी है गई। सोच्यौ कि वे मिलैं, चाहें न मिलैं, कृष्न-नाम के सहारें जीवन समाप्त करि दऊँगी। किंतु वाही दिनाँ तुम नें चित्र दिखायौ। चित्र छबि, बस एक ही बार देख सकी। देखत ही वह स्याम-वरन मेघद्युति पुरुष मेरे प्रानन में समाय गयौ। फिर इतने ही में बंसी बजी, बंसी की धुनि सुनि मेरौ ममन विक्षिप्त है गयौ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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