राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 13

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

Prev.png

श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला

(श्लोक)

नादः कदम्बविटपान्तरतो विसर्पन् को नाम कर्णपदवीमविशन्न जाने ।

अर्थ- ओह! यह कदंब बृच्छन सों जानें कैसी ध्वनि आई? यह मेरे कानन में प्रविष्ट है गई। हाय! कदाचित् या अमृत बरसायबेवारे के रूप कूँ देख लेंती।
सखी- अरी, बावरी सखी! यह तौं बंसी-धुनि हती ।
श्रीजी- तौ यह बंसी धुनि कौन की ही? चलि, वाकूँ देखें।
सखी- प्यारी जू! आप तौ न जानें कहा कहा कह रही हो! हमारी तौ समझ में कछू आवै नहीं है।
श्रीजी- हा! हा!! हा!!! सुनौंगी – सु – नौं-
(श्लोक)

वितन्वानस्तन्वा मरकतरुचीनां रुचिरतां
पटान्निष्क्रान्तोऽभूद्धृतशिखिशिखण्डो नवयुवा ।।

अर्थ- महामरकत-द्युति अंग ते सोभा झर रही ही, माथे पै मोरपंख सोभा दै रह्यौ हौ। नव-किसोर स्यामघन-
सखी- किसोरी! तुम ने सुपनौं तो नही देख्यौ?
श्रीजी- स्वप्न या जागरन, दिन अथवा रात्रि-यह मैं नहीं जान सकी। जानिबे की सक्ति कहाँ रही? वा स्याम ज्योति में सागर लहराय रह्यौ हौ; वह लहर मोहूँ कूँ बहाय लै गई। नाचती भई चंचल लहर में मैं हूँ चंचल है उठी, फिर जानिबे कौ समै ही कहाँ मिल्यौ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः