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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीलापद (राग-देश, ताल-रूपक)
अर्थ- हे देवियौ! स्त्रीन कौ यही परम धर्म हे कि अपने पतीन की सेवा करनौ और बालकन कौ पालन पोषण करनौ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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