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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला
अर्थ- हे गोपियौ, अब देर मत करौ। तुम्हारे बालक भूखे रोवँते होयँगे, उन कूँ दूध पिवैयौं। गैयान के बछरा भूखे रंभावते होयँगे, उन कूँ चुखैयौं, तुम अपने घरन कूँ जाऔ।
अर्थ- अथवा तुम मो में अनुराग स्नेह करि कैं आई होउ सो यह तौ तुम्हारे योग्य ही है; कारण मो सौं तौ सब प्रानीमात्र हू प्रीति करैं हैं, फिर तुम क्यौं न करौगी। तुम तो प्रीति के सार कूँ जानिबे वारी हौ। हे गोपियौ। मैं तुमकूँ बिधाताद्वारा बतायौ बेद कौ मारग बताऊँ हूँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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