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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(तुक)
अर्थ- हे वीर सिरोमनि, सुरति के बढायबेवारे, सोक के मिटायबे वारे, स्वरभरी बंसी ते भलें प्रकार चुम्बित, मनुष्यन के चक्रवर्ती आदि सुखन कूँ भुलायबेवारे अधरामृत कौ हमें दान करौ।
(तुक)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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