राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 27

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीसाँझी-लीला

मंगलाचरण

(श्लोक)

राधाकरावचितपल्लववल्लरी के राधापदांकविलसन्मधुरस्थली के ।
राधायशोमुखरमत्तखगावलीके राधाविहारविपिने रमतां मनो मे ।।

‘हे मेरे मन! तू श्रीराधा कर कमल सौं स्पर्श करे भए पल्लवन वारी वल्लरीन सौं मण्डित, श्रीराधा-पदांकन सौं सोभित मनोहर स्थलन सौं युक्त एवं श्रीराधा-यशगान सौं मुखरित मत्त खगावली द्वारा सेवित श्रीराधा-कुञ्ज-केलि-कानन श्रीबृन्दाबन में रमण कियौ कर।’

समाजी-

पद (राग ईमन, तीन ताल)

और कोऊ समझौ सो समझौ, हम कूँ इतनी समुझ भली ।
ठाकुर नंदकिसोर हमारे, ठकुराइन बृषभान-लली।।
श्रीदामादिक सखा स्याम के, स्यामा सँग ललितादि अली ।
ब्रजपुर बास, सैल-बन बिहरन, कुंजन-कुंजन रंग रली ।।
इन के लाड़ चहूँ सुख अपनौ, भाव-बेलि रस फलन फली ।
कहैं भगवान हित रामराय प्रभु सब ते इन की कृपा बली ।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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